माना कि आसान ये सफर नहीं,चलना छोड़ दूँ मंजूर मगर नहीं!जीत होगी तो सभी साथ चलेंगे,हार में यहाँ कोई हमसफर नहीं!! धन के लिए जमीर का सौदा,न हासिल हो कभी ये ओहदा,झांकु मैं किसी की तिज़ोरी में,ऐसे फिसलती मेरी नज़र नहीं!! कमजोर पर ही रौब झाड़ना,दूसरों के निवालों को ताड़ना,गरीब की आह पर न पसीजे,इतना … Continue reading चलना छोड़ दूँ मंजूर मगर नहीं!