शुक्र कर रब का
तू अपने घर में है,
पूछ उस से जो
अटका सफ़र में है!
यहाँ पिता की शक्ल नहीं देखी
आखरी वक़्त में कुछ लोगों ने,
बेटा हॉस्पिटल में और
पिता कब्र में है
तेरे घर में राशन है साल भर का,
तू उसका सोच जो दो वक़्त की
रोटी के फ़िक्र में है !
तुम्हें किस बात की जल्दी है
गाड़ी में घूमने की,
अब तो सारी कायनात ही सब्र में है!
अभी भी किसी भ्रम में मत रहना,मेरे
इन्सानो की नहीं सुनती आज कल,
कुदरत अपने सुर में है!