राधा मय हुए गोपाल सुबह सुबह,
छलिया राधा को रिझाए,
देख उनकी लीला
दाऊ खड़े मस्काएं।
राधा जी मंद मंद
उन्हें देख लजाएं,
प्रभु संग खड़े
बंसी की तान लिए जाएं।
यही दरश देख प्रेम का
हम भी इसी की तलाश में जिए जाएं,
भटकते मन को बस यूंही किसी तरह
काबू किए जाएं।
देख श्याम का प्रेम रास
गोपियां खड़ी मुस्काएं
रिझाने श्याम को अपनी ओर
राधे राधे किए जाएं।