खुदा की मोहब्बत

एक कदम भी जो न चल सके हमदम बनकर

ऐसे ही माशूक को मेहमान कहते हैं,

हर बदन में खुदा ना दिखे जिसे

ऐसे ही इंसान को हैवान कहते हैं।


मासूमियत से जो कत्ल किया था तुमने

उसे बेईमानी का एहतराम कहते हैं,

जज्बातों से ना खेला करो हर वक्त

ऐसे इंसान को खूबसूरत इलजाम कहते हैं।


मोहब्बत और खुदा में जरा भी फर्क नहीं है दोस्त

खुद से ना जो जुदा हो उसे खुदा कहते हैं,

अगर दिल हो साफ तो उस नीयत को

खुदा की मोहब्बत कहते हैं।

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