पुरानी दुकानों में नई हिदायत देखी
बीच बाजार हर चीज की नुमाइश देखी,
एक बार जो सारा बाजार ना पलटा हो
ऐसे उनके लिए हजारों दिलों में ख्वाहिश देखी।
हम खुद को खुशकिस्मत समझे
उनकी हमारी तरफ झुकी हुई नजर जो देखी,
लाख टके की सौगात भी अब कम होगी
उनके हर कदम में शुमार अपनी तारीफ जो देखी।
हालात कुछ यूं समझ लीजे की
उनकी खुदी के सामने झुकती दुनिया देखी,
अब तो एक बार रूबरू हो जाएं बस उनसे
यही ख्वाहिश लिए सारे ज़माने की राहें देखी।
जब सीढ़ियां चढ़े बाजार की जो पुरानी थीं
हर तरफ हुजूम में नई कवायद देखी,
पहले कुछ चेहरे दिखते थे जहां हिजाब में
अब सारी दुनिया उसी हिसाब में ढलती देखी।
हिसाब लगाते बेहिसाब हुए हम
कायनात सारी खुद पलटती देखी,
कहां शुरू करें और कहां ख़तम
कुछ नई और कुछ पुरानी घटती देखी।