हम सफर मेरा

दिक्कतों के बाजारों में

खुशियों के खिलौने,

बिछड़ी यादों की कड़वाहटों में

ठंडी छांव के बिछोने,

आज भी याद है हमें

तुम्हारी चाल के सदके,

तुम्हारी मुस्कुराहटों के सामने

हमारी ख्वाहिशों के फलसफे।


एक छलावा सी जिंदगी जीते

पुरानी तस्वीर के टुकड़े,

आज की हक़ीक़त के सामने

फीके तुम्हारी ख्वाहिश के मसले।

तुम थीं एक वक़्त की मालकिन

आज हमारे हजूर हैं सबसे बढ़ के,

खुद को मिटा सकते हैं वो

हमारी तासीर बरकरार रख के।


हस्ती भी वो हैं वो

जो आस पास में हैं सबसे बढ़ के,

बेवजह अपनी सखसियत को ना ढूंढा करो

ज़माने में बहुत हैं तुमसे बढ़ के,

दिल लगी की थी तुमने

आज बैठे हैं हम अपने दिलदार ए यार से मिल के

हम नवाज़ भी वो हैं , हम सफर भी

उनकी हर अदा पर कुर्बान हैं हम जान निसार करके।

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