जिंदगी में बहुत सी यादों के
निशान होते हैं
वो कभी ख्याल और
कभी जवाब होते हैं।
दुनिया मोहब्बत देख कर
नफरत करती है
कायनात झुक कर फिर भी
इलज़ाम अपने सिर लेती है।
इंसान अपने मतलब की बात
जहां तंहा ढूंढ़ ही लेता है
जिसका जवाब ना मिले
वो बात लाजवाब होती है।
फितरत छुपी हुई
गर नजर आ जाए पलक झपकते
उस फितरत की
क्या कोई बिसात होती है।
झुकते नहीं अब इंसान
खुदा के भी सामने,
उसके इल्म पर भी
हजारों सवालों की बौछार होती हैं।
कब्र जब सामने आती है
जनाब के
तब हालत ज़रा जाकर
नासाज होती हैं।
ना भूल जाया करो
उसके दस्तूर को
यहीं इसी दुनिया में हैं घटती
जो बेमिसाल करामात होती हैं।