कैसे अपनो के
दिल की गहराइयों में
और उतर जाएं,
कहां शुरू करें और
कहां ख़तम हो जाएं,
इस सुंदर श्रृष्टि के
आलिंगन में
क्या फिर से
अपनी ही दौड़ में
खो कर रह जाएं।
लॉकडाउन ने
खुद से मुलाक़ात करवाई,
कहां खड़े थे
सफलता की शिखर पर
देखते औरों को सोचते
की अपनो की पहचान से
ना अनभिज्ञ हो जाएं।
अब बैठे
सुबह की चाय के साथ
मुस्कुरा रहे हैं,
सोच रहे हैं
कहां शुरू करें और
कहां ख़तम हो जाएं,
आंनद और परमानंद के
इस माहौल में ढले रहें,
या फिर से वापस
उसी दौड़ में शामिल हो कर
खो जाएं।