माँ तू कहाँ खो गयी …… (dedicated to Sushant Singh Rajput – RIP)

माँ

तू कहाँ खो गयी,

मेरी आँख

कल नम हों गयी,

जूझता समय से

मै अधमरा हुआ हूं,

जिन्दगी

समय के तूफान में खो गयी।

—-

मै निकला उस डगर

जो दिखाई थी तूने,

कर्तव्य पालन

ये सीख ही सिखाई थी तूने,

अब लौट कर

किस डगर से आँउं ऐ माँ,

हार मान लूं

ऐसी राह कभी ना दिखाई तूने।

—-

मेरी मजबूरी नहीं दिखती

तूझे आज माँ,

जूझ रहा मै

ये बात

क्यों नहीं ज्ञात तुझे आज माँ,

गुमराह हो

भूल बैठा हूँ तुझे

सोच लिया तूने,

बात ये तेरे मन की

क्यों नहीं कचोटती तुझे आज माँ।

छोड़ सभी रिश्ते

चला आया मै अगर

सुखी हूं

शायद सोच लिया तूने उधर,

हो जाता सन्यासी

तो क्या जाता तेरा,

ऐसे ही तो मान बैठी है तू

सब्र है तेरे दिल में उधर।

नाम तेरा ले ले कर

सीधा चलता हूँ मै,

माँ मेरे पीछे खडी

यही सोच

लोहा लेता हूँ मै,

शक्ती श्रोत ही जब बन्द हो जाए

जीवन में,

सोचता हूँ

साँस ही कैसे अब लेता हूँ मै।

मत कर ने दे

हठ मुझे यूँ,

तू डांट कर

बुला ले मुझे,

खो गया अगर

ढूंढती रहेंगी तेरी आंखें मुझे,

बाकी संतानों से कर लेगी क्या

तू सब्र तब,

पत्थर सा हुआ हूं इधर

कोई नहीं है संभालने वाला यहां मुझे ।

—-

सोच लिया है मैने भी

कुछ सिद्ध न करूंगा अब,

गुहार न लगाऊंगा किसी से

छोड़ दिया कि लीलाधर ही करेगें न्याय अब,

तू बस दे देना

मेरा आखिरी हक

जो है मेरा,

इस मृत्यु लोक से

मुक्ति मिली मुझे,

कर लेना हृदय जड़ तेरा।

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