मुस्कुरा जो दिया करते हो

रहमत खुदा की

आदत नहीं हुआ करती

ज़ज़बा ए मोहब्बत से

खुदा मिला करते है।

तुम निज़ाम से

ताल्लुक भी रखो अगर

मिन्नतों से ही

खुदा की रहमत के

हकदार हुआ करते है।

तुम्हारी मुस्कुराहट हमे

कुछ यूं मिला करती है,

इस नाचीज़ पर

नजर ए करम कर दो,

हमे कुछ सख्त

ताकीद मिला करती है।

हर वक़्त

खोए खोए से नजर आते हो,

बर्दास्त करते हुए

मोहब्बत में

मुस्कुरा जो दिया करते हो,

इन पलों में

तुम्हारी यादों में शुमार

जो हुए हैं हम,

कुछ सबसे छुपा कर

मुस्कुरा जो दिया करते हो।

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