जिक्र उस ख्वाब का

जिक्र उस ख्वाब का करें कैसे

जज्बात निकल आएंगे ,

पिघलती हुई शमा के मोम को छुआ तो

हाथ जल जाएंगे ,

तुम बेफिक्र रहो परवाना न बनो

पंख जल जाऐंगे,

जिन्दा रहना तो सभी जानते हैं

हम उड़ जाएंगे और

निशान रह जाएंगे,

इस कदर खुदा को प्यार करो

रहनुमा सभी जलखर

खाक हो जाऐंगे,

खुदा को न निहार पाओगे कभी

सिर्फ इतफाक मिल पाऐंगे,

चलते रहना है काम अपना

मंजिल और रास्ते

खुद मिल जाएंगे ,

जीने के लिए एक हमसफर काफी है

खुदा खुद निगेहबां हो जाएगें,

तारीफ उसकी बैठ कर करते रहे हम

वो बैठे बनसी बजा कर

बस मुसकुराएगें।

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