जीवन मंत्र की खोज में
जीने का अवसर खो दिया,
यंत्र तंत्र और मंत्र साध के
जीने का अर्थ ही खो दिया।
जीवन के संघर्ष देख
दूसरों के कथन से
खुद को अनुबंधित किया,
जीवन शैली हो ऐसी
सोच कर हजार जतन किया।
धन संपत्ति कमा कर
खूब नाम दुनिया में किया,
खुदा को गंवा कर
खुद को खुशकिस्मत समझ
अपनेआप को तब्दील किया।
फिर वक़्त बदला और
महामारी ने सोच को झकझोर दिया,
इंसान देख हैरान रहा
ना धन
ना नाम
ना पहचान
किसी ने ना काम किया,
कभी धूप
कभी हवा
कभी जल
इन्हीं खुदा की नेमतों का अहसास दिया।
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या संस्कार याद करें,
जिंदगी ने आज
दादी के नुस्खों पर पुनः विचार किया।
जीवन शैली को कर ठीक पुनः
फिर प्रातः उठने का आगाज़ किया,
प्रभु को याद करे ना करे
ध्यान धरने का नियम अविलंब किया।