चिन्तन चित्त को चाहिए
तनको चाही नीर,
मन को भौतिक सुख की इच्छा
आत्मा बने फ़क़ीर ।
क़हत पुलसत्य सुनो भाई साधों
बन रहे
बड़े बड़े फ़क़ीर ,
भजन पूजन से कछु मिले नहीं
ना हो भाव फ़क़ीर ।
खुदा कहो या शिव
होते वही क़रीब ,
जो
जन सेवा करे
बनावे नाहीं लकीर ।