रुकना चलना

रुकना चलना, जीवन का सुख।लेना- देना अनुभव निज सुख। नित परिवर्तन प्रकृति भाव है।परवश जीवन कभी नहीं सुख। मेघों का अपना जीवन है।उठना, चलना और बरसना । पर वे परवश, नहीं बरसते।जब तक शीतलता से उन्मुख। जल जीवन आसान नहीं है,नहीं सरल हैं उनके रस्ते। पर्वत से गिर मैदानों में,चलते रहते बेकल, बेसुध। जब वे … Continue reading रुकना चलना