ज़िंदगी में
सागर की सी शांत
लहरों में
तूफ़ान आना ज़रूरी होता है ,
कुछ ना कहें हम
तो सबके जज़्बातों में
उफान आना ज़रूरी होता है ।
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कुछ ख़्यालों को दफ़नाते
चले आए हैं ज़िंदगी भर,
अब तो आदतें भी याद नहीं अपनी
खुद को यूँही मिटा लेना
इस दुनिया का दस्तूर
मालूम होता है ।
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देख हमें कोई बोल पड़ा
मुस्कुराते बहुत हो आज कल
क्या बात है ,
दुनिया को
हमारा रोना पसंद आया
मालूम होता है ।
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अब हम हम नहीं हैं
शिवमय हो शिव हुए
मालूम होता है ,
इच्छाएँ शेष ना रही
ना डर का कोई बोध रहा
स्वयं महामाया से हुए हैं ।
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ना बोध ना लगन
कुछ भी चाहिए नहीं
अब ऐसा मालूम होता है ,
पुरानी इच्छाएँ
अब अपने आप पूरी होती है ।
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