अब जल्द ही कल्कि आने वाले हैं

हारिमय शिव आभा कुछ ऐसी काली के संग विराजे हैं , पीला चाँद अँग वस्त्र भी पीला सभी रुद्राक्ष पीले धारे हैं , कमंडल वासुकि और छाल सभी भए पीले हरी से हुए सारे हैं , शिव दे रहे चेतना जागो अब मेरे बच्चों एक जुट सब सनातनी अब सारे हैं । एक हो जाओ … Continue reading अब जल्द ही कल्कि आने वाले हैं

बस शून्य सा सब कुछ हो रहा

कुछ काला कुछ उज्ला कुछ पीछे कुछ आगे समय परिवर्तन हो रहा । स्थिर्ता बुद्धि और विवेक ना तुलना है ना परिकल्पना बस शून्य सा सब कुछ हो रहा । ना पराजय का भय ना विजय का उद्घोष बस शून्य सा सब कुछ हो रहा । चित्त स्थिर शंका शून्य और काली की मुस्कुराहट बस … Continue reading बस शून्य सा सब कुछ हो रहा