अब जल्द ही कल्कि आने वाले हैं

हारिमय शिव

आभा कुछ ऐसी

काली के संग विराजे हैं ,

पीला चाँद

अँग वस्त्र भी पीला

सभी रुद्राक्ष पीले धारे हैं ,

कमंडल वासुकि और छाल

सभी भए पीले

हरी से हुए सारे हैं ,

शिव दे रहे चेतना

जागो अब मेरे बच्चों

एक जुट सब सनातनी अब सारे हैं ।

एक हो जाओ

वैष्णव हो या शैव

अंतर मुझमें करना अब तो भारी है,

हरी कहो या जपो नारायण

मिलना फल एक जैसा

यही सत्य सब पर अब भारी है ।

जागो देखो

अधर्म का परचम लहराया है

हिंसा धर्म होती तब

अधर्म का बोध सब ओर जारी है,

एकता देख आर्यव्रत की

सदैव ही दैत्य भागे थे

जब राम उठे

तब विभीषण और सुग्रीव के

भाग जागे थे ।

अब कर उद्घोष

बजा शंख और डमरू,

निकल राह पर

एक सेना बना ,

हाथ में गांडीव लिए

अब सभी अर्जुन से जागे हैं,

हो

भागे हुए कौरवों की

हार यहाँ

अब जल्द ही

कल्कि आने वाले हैं ।

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