गुरुत्वाकर्षण या प्रेमअगाधा

प्रेम सुख समय सब हाला उड़ूँ अभी बस यही कृत कर डाला, प्रेम और मातृत्व इन सब का बोध समय चलते छोड़ डाला , पराशक्ति विदयमान यहीं विज्ञान पढ सब भुला डाला । यांत्रिक हुआ तब बना क्या कुछ नहीं डाला , गोद उजाड़ श्रष्टि की क्या क्या काम नहीं कर डाला , पूत कपूत … Continue reading गुरुत्वाकर्षण या प्रेमअगाधा