गुरुत्वाकर्षण या प्रेमअगाधा

प्रेम सुख समय सब हाला

उड़ूँ अभी

बस यही कृत कर डाला,

प्रेम और मातृत्व

इन सब का बोध

समय चलते छोड़ डाला ,

पराशक्ति विदयमान यहीं

विज्ञान पढ

सब भुला डाला ।

यांत्रिक हुआ

तब बना

क्या कुछ नहीं डाला ,

गोद उजाड़ श्रष्टि की

क्या क्या काम

नहीं कर डाला ,

पूत कपूत सुने हैं

पर ना माता सुनी कुमाता,

सत्य वचन सब सिद्ध भये

इस धरती माँ ने

अब तक गोद से नहीं उतारा,

प्रेम सहित सब रह रहे

गुरुत्वाकर्षण नाम दे डाला ।

मोह पाश प्रगाढ़ बढ़ा

लोभ चहूँ ओर अगाधा,

आलस्य भये मनुष्य ने

robot तक बना डाला ,

स्वयं को निर्माता मान

AI को गढ़ डाला,

बुद्धी विलास का विषय जान

उसे भी स्वयं दीक्षित हो

ऐसा अवसर दे डाला ।

विनाश काले विपरीत बुद्धि

कली ने अपना काम

उत्कृष्टता से कर डाला,

सब उजाड़

धरती माँ को छोड़,

अब चलना ही होगा

यह विषय

प्रमुख बना डाला ।

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