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जानेवाले इस कदर
खुदगर्ज हैं होते,
अपनी बातों से
दिल में बीज हैं बोते।
कुछ खास तो
बयां नहीं करना मुझको
पर जिन्हे छोड़ हम रुखसत हो रहे,
कुछ उदास और कुछ हैं रोते।
क्या कहें क्या समझाएं
तुमको ऐ यार मेरे
आँसू कुछ हमने भी हैं संजोए,
हम भी तो तुम्हारा साथ हैं खोते।
हूँ यहीं करीब तुम्हारे
आवाज लगाना, मैं जरूर आँऊगा
ये मजबूत बंधन छह साल में हैं बनाये,
यूँ ही नहीं तुम मेरे लिए
आज भी पैग हो ढोते।