राधा कृष्ण

प्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन लिखूं!रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित,चाहे जितना लिखूं…. जेल में जन्मा लिखूं ,या गोकुल का पलना लिखूं।देवकी की गोदी लिखूं ,या यशोदा का ललना लिखूं ।।रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं…. देवकी का नंदन लिखूं,या यशोदा का लाल लिखूं।वासुदेव का … Continue reading राधा कृष्ण