मुस्कुराते मुस्कुराते
तुम हमसफ़र बन गए,
हम खुद से बेखबर
तुम्हारे हम्नजर बन गए,
इबादत करें खुदा की
या तुमसे नज़रें दो चार करें,
कायनात सी खूबसूरत
तूम्हारी आंखों के नूर बन गए,
ढूंढते जमाने भर में
फिर तुम्हारी बाहों में मजबूर हो गए।
मुस्कुराते मुस्कुराते
तुम हमसफ़र बन गए,
हम खुद से बेखबर
तुम्हारे हम्नजर बन गए,
इबादत करें खुदा की
या तुमसे नज़रें दो चार करें,
कायनात सी खूबसूरत
तूम्हारी आंखों के नूर बन गए,
ढूंढते जमाने भर में
फिर तुम्हारी बाहों में मजबूर हो गए।
Very beautiful poem