मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता

🐋 *मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_* _ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की,"_ _आप मुझे पहचानते हो_ _बस इतना ही काफी है।_ _अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा जाना मुझे,_ _जिसकी जितनी जरूरत थी_ _उसने उतना ही पहचाना मुझे!_ _जिन्दगी का फलसफा भी_ … Continue reading मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता