जन्म अष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष प्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन लिखूं!रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित,चाहे जितना लिखूं…. ज्ञानियों का गुंथन लिखूं ,या गाय का ग्वाला लिखूं..कंस के लिए विष लिखूं ,या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं।रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं…. पृथ्वी का मानव लिखूं … Continue reading जन्म अष्टमी