इज़हार ख्वाहिशों का जरूरी है दोस्तों
सोचते रहने से कुछ मिलेगा, ये जरूरी नहीं है दोस्तों।
सफेद रंग पहन लेना जरूरी नहीं दोस्तों
काले कपड़ों में भी साफ मिज़ाज़ के लोग मिलते हैं दोस्तों।
साफ होने लगें बादल तो चलना शुरू करें
ये सोच बदलनी होगी, झूठ की इमारत हर जगह हैं दोस्तों।
हम वफा उनसे करते हैं जो दिखते नहीं कहीँ भी
एक दूसरे की पीठ में हर मौके पर छूरा घोंपते है दोस्तों।
तक़दीर मान कर जिसे नज़रें बिछाए ताका करते हैं
वो किसी के पहलू मे शमा जलाने बैठे हैं दोस्तों।
निराश हो जाना तबियत सी बन गयी है अब
हम मशाल तैयार किये, तुम आओगे इस इंतज़ार में बैठे हैं दोस्तों।