हंसते हो इस कदर
कौन सा गम हो संजोए,
कितने खुश थे पहले
जो याद करके हो रोए।
दारू जरा
थोड़ी थोड़ी ही पिया करो,
जिंदगी जरा
मुस्कुरा कर जिया करो।
समझ कर की
यादें छलावा हैं होती,
जिंदगी तुम्हे उलझा देख
कितनी खुश है होती।
दुख सुख मिले हैं जितने
ये हिसाब के ही हैं इतने,
फिर भी दुश्मनी करने मे
क्यों मसरूफ रहते हो इतने।
दास्तानों में तुम्हारी
पुरानी हार है देखी,
हाल ए दिल में
एक कशिश हर बार है देखी।
कदमों मे जो
एक नई सौगात भी रख दें,
मुस्कुराहट के साथ
एक नई बात भी रख दें।
तुम नशें मे जो
यूंही झूमते रहोगे,
गिरोगे
फिर अपनेआप समभलते रहोगे।
लगे रहोगे,
गाओगे कभी गीत
दोगे कभी गाली
जिंदगी,
बहुत करीब से ना सही,
पर
हमारी भी है देखीभाली।
सुनो
फिर सोच लो,
जिंदगी
जरा मुस्कुरा कर
अपनो के साथ जी लो।