शायद साथ नहीं था कोई
हम साया या हम दम,
छोड़ कर जाने को
मजबूर हुए हो ऐसे,
तुमसे सारी दुनिया ने
जब थी आस लगाई,
कुछ पल और
सब्र कर लिया होता
किसी से हाल ए दिल
कह लिया होता,
कुछ आंसू निकले होते
उस मां का कलेजा
ठंडा कर लिया होता,
ऐसी शान ओ शौकत
इज्जत और कमाई
किस काम आई मेरे भाई।
उम्मीद जगा कर खो जाना
उस पर अपनी
मुस्कुराहट लुटाना,
कहां ऐसी शोहरत थी तुमने
अपनी तारीफ में पाई,
ऐसी शान ओ शौकत
इज्जत और कमाई
किस काम आई मेरे भाई।
तब्बजो उस बात पर
रखेंगे अब हम
जो तुमने
जाते हुए सिखाई,
उस दोस्त से भी
माफी मांग लेंगे हम
जिसकी कीमत
कभी हमने थीं लगाई,
ऐसी शान ओ शौकत
इज्जत और कमाई
किस काम आई मेरे भाई।
सही है रास्ता ये
अब लगता है,
यही वजह थी तुमने
जो नहीं पाई,
ऐसी शान ओ शौकत
इज्जत और कमाई
किस काम आई मेरे भाई।
सही कहा आपने